
Wednesday, 21 November 2018
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कर्नाटक में मिली दुनिया की एकमात्र आदिवीर भगवान की प्रतिमा जिसका आधा अंग आदिनाथ भगवान का और आधा अंग महावीर भगवान का है यह प्रतिमा आदिवीर भगवान की है । प्रतिमा का आधा अंग आदिनाथ भगवान का है और आधा अंग महावीर भगवान का है ! प्रतिमा का जो लांचंण है उसमे आधा बैल है और आधा सिंह है । प्रतिमा को तीसरी आख भी है जो थोडीसी आदिनाथ के अंग की तरफ है । यहप्रतिमा कम से कम 1800 वर्ष पुरानी है क्योकी वहा एक प्राचीन शिलालेख मिला है जो बताता है की आचार्य भद्रभाहू और चंद्रगुप्त मौर्य और 700 मुनी उत्तर से दक्षिण की तर्फ जाते समय उनका चातुर्मास हुआ था । कर्नाटक में मिली अदभुद एवं आलौकित जैन प्रतिमा, अहिंसा क्रांति अखबार की रिपोर्ट । हलिंगली (कर्नाटक) में खुदाई के दौरान प्राचीन जैन प्रतिमा प्राप्त भगवान आदिनाथजी व भगवान महावीर जी की संयुक्त आधा बैलमुख व आधा शेरमुख चिन्ह युक्त लगभग दूसरी या तीसरी सदी की भारत में पहली बार इस तरह की "आदिवीर" भगवान की प्राचीन प्रतिमा मिली है । इससे पूर्व में भी यहाँ से प्राचीन प्रतिमाएं प्राप्त हो चुकी है। संभवत: यहां प्राचीन समय मे विशाल जिनालय होगा । इसी स्थान से एक शिलालेख भी प्राप्त हुआ था जिसमे आचार्य भद्रबाहु के साथ चंद्रगुप्त मौर्य उत्तर से दक्षिण भारत की और विहार करते समय चातुर्मास किये जाने का उल्लेख है । सूचना प्रदाता- संजय जैन आचार्य कुलरत्नभूषण महाराजी के अनुसार इसके पहले भी यहा पर 16 पुरानी प्रतिमा मिल चुकी है और वो सारी प्रतिमा आचार्य श्री कुलरत्न भूषण महाराजजी के दृष्टांत से मिली है । यह संपूर्ण भारत वर्ष मे या दुनिया मे ऐसी एकमेव अतिशयकारी प्रतिमा है जिसको आदिवीर भगवान के नाम से जाना जाता है ! जय हो आदिवीर भगवान की । जय हो कुलरत्न भूषण मुनिराज की । Shared by @nirjara_app #jain #jainnewsviews #jainism #ancient #Historic #aadinath #mahavir #karnataka
कर्नाटक में मिली दुनिया की एकमात्र आदिवीर भगवान की प्रतिमा जिसका आधा अंग आदिनाथ भगवान का और आधा अंग महावीर भगवान का है यह प्रतिमा आदिवीर भगवान की है । प्रतिमा का आधा अंग आदिनाथ भगवान का है और आधा अंग महावीर भगवान का है ! प्रतिमा का जो लांचंण है उसमे आधा बैल है और आधा सिंह है । प्रतिमा को तीसरी आख भी है जो थोडीसी आदिनाथ के अंग की तरफ है । यहप्रतिमा कम से कम 1800 वर्ष पुरानी है क्योकी वहा एक प्राचीन शिलालेख मिला है जो बताता है की आचार्य भद्रभाहू और चंद्रगुप्त मौर्य और 700 मुनी उत्तर से दक्षिण की तर्फ जाते समय उनका चातुर्मास हुआ था । कर्नाटक में मिली अदभुद एवं आलौकित जैन प्रतिमा, अहिंसा क्रांति अखबार की रिपोर्ट । हलिंगली (कर्नाटक) में खुदाई के दौरान प्राचीन जैन प्रतिमा प्राप्त भगवान आदिनाथजी व भगवान महावीर जी की संयुक्त आधा बैलमुख व आधा शेरमुख चिन्ह युक्त लगभग दूसरी या तीसरी सदी की भारत में पहली बार इस तरह की "आदिवीर" भगवान की प्राचीन प्रतिमा मिली है । इससे पूर्व में भी यहाँ से प्राचीन प्रतिमाएं प्राप्त हो चुकी है। संभवत: यहां प्राचीन समय मे विशाल जिनालय होगा । इसी स्थान से एक शिलालेख भी प्राप्त हुआ था जिसमे आचार्य भद्रबाहु के साथ चंद्रगुप्त मौर्य उत्तर से दक्षिण भारत की और विहार करते समय चातुर्मास किये जाने का उल्लेख है । सूचना प्रदाता- संजय जैन आचार्य कुलरत्नभूषण महाराजी के अनुसार इसके पहले भी यहा पर 16 पुरानी प्रतिमा मिल चुकी है और वो सारी प्रतिमा आचार्य श्री कुलरत्न भूषण महाराजजी के दृष्टांत से मिली है । यह संपूर्ण भारत वर्ष मे या दुनिया मे ऐसी एकमेव अतिशयकारी प्रतिमा है जिसको आदिवीर भगवान के नाम से जाना जाता है ! जय हो आदिवीर भगवान की । जय हो कुलरत्न भूषण मुनिराज की । Shared by @nirjara_app #jain #jainnewsviews #jainism #ancient #Historic #aadinath #mahavir #karnataka
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