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Monday 12 February 2018

जैन तीर्थंकर अहिंसा के प्रेरणा स्त्रोत :...

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श्रवणबेलगोला। गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली स्वामी महामस्तकाभिषेक महोत्सव के पंचकल्याणक में चौथे दिवस १० फरवरी को राज्याभिषेक महोत्सव में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि ‘जीओ और जीने दो’’ से ब़डा कोई सन्देश नहीं हो सकता है।


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने तीर्थंकरों से प्रेरणा लेकर अहिंसा का मार्ग अपनाया, भगवान बाहुबली का महामस्तकाभिषेक महोत्सव हमें भगवान बाहुबली एवं तीर्थंकरों के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगा।


गुरूओं का आशीर्वाद लेना हमारी परम्परा रही है। गुरु हमें सद्ज्ञान व सद्बुद्धि देने वाले हैं, पैदल धर्म का प्रबोधन करना मामूली कार्य नहीं है। जैनधर्म के त्रिरत्न सम्यक्दर्शन, ज्ञान, आचरण बहुत जरूरी है। धार्मिक भावना हमारी पहचान है, पूजा पद्धति अलग-अलग हो सकती है लेकिन देश के लिए जीना हमारी जीवन पद्धति है। जैन समाज के लोग समाज के लिए खर्च करते है यह अच्छी बात है।

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आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। अपनी रोटी बाँटकर खाना भारतीय संस्कृति है, मैं यहाँ आकर बहुत आनंद महसूस कर रहा हॅूं, जीवन में शिक्षा फिर सेवाभाव व समाज में कुछ करने का भाव होना मानव सेवा है।नायडू ने कन्ऩड, हिन्दी, अंग्रेजी भाषा में भारतीय संस्कृति, भगवान बाहुबली का सन्देश, सत्य अहिंसा, श्रवणबेलगोला के इतिहास, सम्राट चन्द्रगुप्त, आचार्य भद्रबाहु, चन्द्रगिरि पर्वत की चर्चा करते हुए कई आयामों को छुआ और कहा कि कोई जाति उच्च व नीच नहीं होती, दूसरों की पूजा पद्धति की अवहेलना करना हमारी पद्धति नहीं। अलग भाषा, अलग वेश-भारत हमारा देश एक रहा है।

अपने विधायक कार्यकाल में श्रवणबेलगोला दर्शन का जिक्र करते हुए उन्होंने कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारूकीर्ति भट्टारक स्वामीजी विगत ४८ वर्षों से श्रवणबेलगोला के लिए समर्पित व्यक्तित्व बताया।मंच पर पहुंचने के साथ ही उपस्थित आचार्यश्री वर्द्धमानसागरजी महाराज सहित ३५० पिच्छीधारी आचार्य मुनिराज, आर्यिका माताजी को उपराष्ट्रपति ने नमन कर उनका आशीर्वाद लिया।

इस मौके पर उपराष्ट्रपति के साथ राज्यपाल वजूभाई वाला, केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक व संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार, राज्य के मंत्री ए.मंजू, कप़डा मंत्री रूद्रप्पा एम.लमानी, सांसद पीसी मोहन, श्रवणबेलगोला विधायक बालकृष्ण, महोत्सव अध्यक्ष श्रीमती सरिता एम.के.जैन, कार्याध्यक्ष एस. जितेन्द्रकुमार, डिप्टी कमिश्नर रोहिणी सिंदूरी आदि उपस्थित थे। स्वस्तिश्री चारूकीर्ति भट्टारक स्वामीजी के नेतृत्व में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू व अतिथियों ने सौधर्म इन्द्र भागचंद-सुनीतादेवी चू़डीवाल गोहाटी के साथ सर्वप्रथम भगवान ऋषभदेव को मोती हार, मुकुट पहनाया व राज्याभिषेक किया।

महामस्तकाभिषेक में श्रुत साहित्य प्रकाशन व अप्रकाशित साहित्य को प्रकाशित करने की भावना अनुसार १०८ पुस्तकों का प्रकाशन किया गया। जिनका विमोचन उपराष्ट्रपति नायडू ने कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारूकीर्ति भट्टारक स्वामीजी के साथ किया। पूज्य स्वामीजी ने उन्हें पुस्तकें भी भेंट की। स्वामीजी ने कहा कि महामस्तकाभिषेक केवल जूलुस नहीं, उत्सव नहीं, पूजा नहीं यह जनकल्याण, शिक्षा, सांस्कृतिक संस्कृति संवर्धन का कार्य भी है। एक करो़ड रूपए की लागत से उक्त कार्य सम्पन्न हुआ है।

राज्य के राज्यपाल वजूभाई वाला ने कहा कि त्याग में जो आनंद है उपभोग में नहीं है!


What did India's first President say on Jainism?

यहाँ जितने भी साधु संत विराजमान हैं उन्होंने त्याग किया है इसीलिए हम दर्शन करने के लिए आते हैं। सबसे सुखी सम्पन्न लोग, सबसे ज्यादा सम्पत्ति वाले जैनधर्म के लोग हैं तो सबसे ज्यादा दान देने वाला समाज भी जैन समाज है। जितनी ताकत है उतने पैसे कमाइये, लेकिन समाज को समर्पित भी कीजिए। राणा प्रताप में ताकत थी, भामाशाह के पास सम्पत्ति दोनों का मिश्रण हुआ विजय मिली। ‘क्षमा वीरस्य भूषणम्’’ बताते हुए उन्होंने कहा कि वीर ही क्षमा कर सकता है कमजोर नहीं। गीता में लिखा है कि जो धर्म विरुद्ध कार्य करे उसे समाप्त कर दो।

श्री चारूकीर्ति भट्टारक स्वामीजी ने कहा कि राज्याभिषेक बहुत पवित्र कार्य है। साधु संत यहाँ दो हजार किलोमीटर का पद विहार करके आए है, इनकी जितनी भक्ति हम करें कम है। सन् १९८१, १९९३, २००६ के महामस्तकाभिषेक का इतिहास बताते हुए स्वामीजी ने कहा कि संस्कृति संरक्षण के लिए कार्य करते हुए नायडू यहाँ तक पहुॅचे है। समाज को ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है। केन्द्रीय मंत्री अनंतकुमार के बारे में उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से आवश्यक सहयोग आमंत्रण देने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। श्रवणबेलगोला को उनका बहुत सहयोग प्राप्त होता है।

आचार्यश्री पुष्पदंतसागरजी महाराज ने कहा कि मेरा लक्ष्य है कि युद्ध रहित विश्व, संघर्ष रहित परिवार, विवाद रहित राज्य, स्वार्थ रहित राजनीति, छलकपट मुक्त मैत्रीभाव होना चाहिये। मंगल ग्रह पर हम जाएं न जाएं लेकिन स्वामीजी जो भारतवर्ष के मंगल में लगे हैं उनके साथ जाना चाहिए। अहिंसा संस्कृति को मानने वाले हम लोगों ने कभी जनहानि, ह़डताल नहीं की है। भगवान बाहुबली ने तो अपना सबकुछ जीतकर भी सब कुछ त्याग दिया ऐसे बाहुबली स्वामी के तीर्थ श्रवणबेलगोला के आसपास पांच किलोमीटर का क्षेत्र अहिंसक क्षेत्र होना चाहिए।

साथ ही आचार्यजी ने कामना की कि माँ भारती का सम्मान होना चाहिए। नित्य वंदे मातरम् का गान होना चाहिए। अतिथियों का स्वागत महोत्सव अध्यक्ष श्रीमती सरिता एमके जैन, कार्याध्यक्ष एस जितेन्द्रकुमार, जनरल सेक्रेटरी सतीश जैन, सेक्रेटरी सुरेश पाटिल, विनोद डो़डण्णवर, जयकुमार जैन, राकेश सेठी, राजेश खन्ना, स्वराज जैन आदि ने किया।

इस अवसर पर ब़डी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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